शंकराचार्य अद्वैतवेदांत की मशाल लेकर पूरे भारत को जागा रहे थे और धर्म पीठों की स्थापना कर रहे थे। रामानुज, रामानन्द, बल्लभ, नामदेव, नानक, दादू, रैदास, चैतन्य देव और शंकरदेव देश के कोने-कोने में इसी अछूत 'धर्म’ का निदर्शन करा रहे थे। यदि यूरोप के नकल पर पूरे मध्यकाल को अंधकार युग के अंधकूप में धकेल दिया जाए तो यह इस पूरी परंपरा को नकार देने की मूर्खता होगी। लेबल वाली कोई पोस्ट नहीं. सभी पोस्ट दिखाएं
शंकराचार्य अद्वैतवेदांत की मशाल लेकर पूरे भारत को जागा रहे थे और धर्म पीठों की स्थापना कर रहे थे। रामानुज, रामानन्द, बल्लभ, नामदेव, नानक, दादू, रैदास, चैतन्य देव और शंकरदेव देश के कोने-कोने में इसी अछूत 'धर्म’ का निदर्शन करा रहे थे। यदि यूरोप के नकल पर पूरे मध्यकाल को अंधकार युग के अंधकूप में धकेल दिया जाए तो यह इस पूरी परंपरा को नकार देने की मूर्खता होगी। लेबल वाली कोई पोस्ट नहीं. सभी पोस्ट दिखाएं