भारत के हम वीर निवासी
राष्ट्र धर्म पर प्राण गंवा कर
देश प्रेम का पाठ पढ़ा कर
गया स्वर्ग था जो वनवासी
हम उसकी धरती के वासी
स्वतंत्रता का वीर दूत वह
भारत माता का सपूत वह
जंगल धरती नदियां परती
सब में उसकी सांसें बसती
देव रूप था जो वन वासी
हम उसकी धरती के वासी
अट्ठारह सौ पचहत्तर में
झारखंड के वन प्रांतर में
भारत के जनगण का नेता
करमी और सुगना का बेटा
जन्मा राष्ट्र-मुक्ति-संन्यासी
हम उसकी धरती के वासी
उम्र महज चौबीस साल की
अंग्रेज़ी फौजें विशाल थीं
पंचमुखी तेरी हुंकृति ने
वन-जन में तब प्राण डाल दी
भगवन बिरसा हे बलराशि
हम तेरी धरती के वासी
क्रांति बीज धर कर अंतर में
उतर गए थे महासमर मे
अंग्रेज़ों को धूल चटा कर
प्राण दिये थे जिसने छल में
कीर्ति शेष हे! तुम अविनाशी
हम तेरी धरती के वासी
धरती आबा नाम तुम्हारा
उलगुलान पहचान तुम्हारा
जल जंगल जमीन के रक्षक
करता है अभिमान तुम्हारा
भारत का हर एक निवासी
बिरसा की धरती का वासी
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