बात नहीं है बहुत पुरानी l
अंग्रेजों का बड़ा तमाशा
गिट फिट गिट पिट उनकी भाषा ll
बात-बात पर हमें डराते
अंग्रेजी का धौंस जमाते
काले गोरे का भेद बताते
हम सबको नीचा दिखलाते ll
जाग गई जनता दीवानी
लिख कर रख दी नई कहानी
जन जन में जब क्रांति जगाया
अंग्रेजों को मार भगाया ll
अब तो भाषा की थी बारी
हिंदी बनी उसकी अधिकारी
सैंतालिस आजादी पाई
फिर उनचास में हिंदी आई ll
बंटा रेवाड़ी और बताशा
खड़ा हुआ फिर नया तमाशा
दासी निकली बड़ी सयानी
खड़ी रह गई फिर से रानी l
हिंदी को वनवास दिलाई
अंग्रेजी ने चाबी पाई
रानी बनी रही अंग्रेजी
देखो भाई उसकी तेजी ll
जनता की फिर शामत आई
शुरू हो गई जेब भराई
लूट-लूट कर हो गए लाल
अंग्रेजी के सभी दलाल l
सत्ता मद में चूर हो गए
न्याय नीति से दूर हो गए
ये काले अंग्रेज देश के
गोरों से भी क्रूर हो हो गए l
लंबी गाड़ी ऊंचा बंगला
अध्यक्ष है देखो अगला
हिंदी की दुकान से सजाकर
बैठा है वह पान चबा कर l
हिंदी को गाली दे देकर
पढ़ता अंग्रेजी में पेपर
योगदान अपना गिनवाकर
मना रहा फॉटीन सितंबर l
विद्वत्ता की धाक जमाई
ताली सबने खूब बजाई l
काट रहे हैं खूब मलाई
हिंदी की जय -जय है भाई l
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