साहित्य-संवाद
साहित्य समय और संस्कृति
सोमवार, 19 अक्टूबर 2015
लिए लुकाठा हाथ।
कबिरा खड़ा बजार में लिए लुकाठा हाथ।
जो घर फूँके आपना चले हमारे साथ॥
कबीर की ये पंक्तियाँ हमारी पीढ़ी की प्रिय पंक्तियाँ हैं। इसे दोहराती तो पिछली पीढियाँ भी रही हैं,पर हमने इसे जीवन में उतारना सीख लिया है।
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